Sarfaraz

Add To collaction

लेखनी कहानी -24-Dec-2024

🌹🌹🌹 ग़ज़ल 🌹🌹🌹

नहीं है ऐ मिरे जानी नहीं हैं।
ज़ियादा   दिल्लगी   अच्छी नहीं है।

किसी पर मालो-दौलत के जबल हैं।
किसी पर एक रत्ती भी नहीं है।

दसों कर डाले उसको फ़ोन लेकिन।
वो आने के लिए राज़ी नहीं है।

ख़ुशी से सैंकड़ों मेह़रूम हैं,पर।
ग़मों   से  कोई  भी  ख़ाली नहीं है।

हज़ारों राज़ पोशीदा हैं इसमें।
हमारी   बात   बे - मअ़नी नहीं है।

किसी के ख़ैर ख्वां लाखों हैं लेकिन।
किसी का कोई भी ह़ामी नहीं है।

बनी है किस तरह दुनिया ये गुत्थी।
करोड़ों  दिन  में  भी  सुलझी नहीं है।

जो शय कल मुफ़्त मिल जाती थी यारो।
वो अब अरबों में भी मिलती नहीं है।

हमारे जैसे मिल जाएंगे खरबों।
फ़राज़  उसका  कोई  सानी नहीं है।

सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसानवी। 

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

   4
3 Comments

hema mohril

07-Feb-2025 06:59 AM

v nice

Reply

Anjali korde

23-Jan-2025 05:58 AM

👌👌

Reply

RISHITA

20-Jan-2025 05:33 AM

👌👌👌👌👌

Reply